उसका गुस्सा वाजिब है उसके नखरे वाजिब हैं गलती सिर्फ मेरी है हम उसके आशिक हैं
अपनी गलतफहमी का खुद से फरियाद करता हूं शक में रूठकर अपना ही नुकसान करता हूं
अपने दिल को समझाकर आराम नहीं मिलता बेवफा ने जो दर्द दिया कोई वजह नहीं मिलता
मेरे सुधरने की कोशिश नाकाम रह गई तिरछी नजरों से मीठे इशारे होठों पर हल्की मुस्कान लिए जब करती हो खुद को रोक नहीं पाते हैं
तुम्हारी मुस्कान प्यार में सहायक है हौसला मिला है आपकी इरादों को समझकर