बेवफा शायरी संग्रह
मेरे शिद्दत से चाहतों की धज्जियां उड़ गई है पहले मन में खुशियां रहती थी बेवफा के कारनामों से एक वफादार की नींद खुल गई है
आजकल अकेलापन इतना ज्यादा हो गया है आंसू गिरकर सूख जाते हैं कोई हालचाल पूछता नहीं है ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे वह स्वार्थ सिद्ध कर रही थी वरना बेवजह इस तरह कोई रूठता नहीं है
तनहाई में दिन कैसे गुजरता है काश वो बेवफा महसूस कर पाती मेरे वफा का कर्ज अपने मोहब्बत से अदा कर पाती
कभी पाने की ख्वाहिश इस कदर बढ़ गई थी हर वक्त बेचैन रहने लगा था अब खोने का गम इस कदर बढ़ गया है खामोश रहने लगा हूं
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