Hindi shayari Sangrah ( love shayari )
तुम्हारे हर वादों का हिसाब चाहती हूं आजकल रुख मोड़ने लगे हो इंसाफ चाहती हूं जो पहले नजर आते थे वही इंसान चाहती हूं
सच्ची मोहब्बत करता हूं नीयत में कोई खोट नहीं रखता हूं दिल की गहराई में झांककर देखोगी तब समझ पाओगी तुम्हें किसी बात से तकलीफ न पहुंचे मन की ख्वाहिशों में ऐसी सादगी रखता हूं
झूठा वादा नहीं करती हूं अपनी जुबान पर कायम रहती हूं सच को इंकार नहीं करती हूं मुझसे जो काम हो नहीं सकता उसे स्वीकार नहीं करती हूं
मुझे मुश्किलों से राहत मिल गई है उसके मोहब्बत से ताकत मिल गई है खुशनसीब हूं हमसफर बनने की इजाजत मिल गई है
Shayari sangrah |
जब कठोर मेहनत के बाद सफलता मिलेगी तब खुशी के आंसू महसूस कर पाओगे अगर आसानी से कामयाबी मिल गई, हो सकता है कद्र करना भूल जाओगे