Hindi shayari | shayari Sangrah | shayari manoranjan
कब तक यूं ही सताती रहोगी मेरे इश्क को आजमाती रहोगी सच्ची मोहब्बत करने लगा हूं दूर रहकर वादों को तोड़कर मेरे दिल की बेचैनी बढ़ाती रहोगी
जबसे नजर से नजर टकराई है मुझमें इश्क का छाप छोड़ चुकी हो महसूस हो रहा है मेरी ख्वाहिशें जैसे तुमसे अपनों का रिश्ता जोड़ चुकी हो